PRISONER'S LETTER
कैदी का चिठ्ठी
Jabalpur Jail
Name Subhadra Kumari Chouhan
Unobjectionable/Censored/Sanctforted. मंजूर.
Superintendent,
आना हो तो शुक्रवार को दरखास्त देना
चाहिये मुलाकात के कानून से जायज़ होगा तो वह कैदी की मुलाकात इतवार के सुबह होता
है.
तुम कहोगी जेलमें बैठी बैठे न जाने
क्या चीज़ें मागती हूँ पर ५ महीने मे यहाँ रहते रहते आधी गृहस्थी इकट्ठी हो गयी है। दोनो जोड़ी कपड़े
मी ममता के ही लिए है उसे बहला कर रखने के लिए न जाने क्या क्या मंगवाना पड़ता है. अब वह जेल में रहते रहते घबडा गयी है. चूड़ियां
भी उसी कडे की नाप की आठ-दस भेज सको तो अच्छा है पर खूब अच्छे रंग की । चिन्ता,
गायत्री और खोखी को मेरा प्यार. चिंता के विवाह की बातचीत कहीं हो रही है क्या.? दिलीप, और भोला को मेरा सप्रेम नमस्ते कहना .
हुब्दार सिंह के लिए क्या लिखूं उनकी याद तो मुझे बहुत आती है. जेल में याद को सभी
की आती है पर किसी किसी की याद बहुत आती है. हुब्दार से कहना कोई मुंडा इक्का तलाश
करके खरीद कर रखे जेल से छूट कर जब बनारस आऊंगी तब वे उस इक्के को लेकर मुझे लेने
स्टेशन आयेंगे. गौड़ जी को भी मेरा सादर सप्रेम नमस्ते कहना. जेल में जिस बैरक में हूँ
वहां भीड माड है नहीं तो लगाती .उपन्यास लिखने का इतना अच्छा समय और कहाँ मिल सकता
है. तुम्हारे जीजाजी वकील ने तो कई एकांकी नाटक लिखे हैं. वे नागपुर जेल मे प्रसन्न हैं . दूध पर ही रहते है, अन्न तो क्या फल भी नहीं खाते। और सब समाचार ठीक है.. तुम्हारी कविताओं का
दूसरा संग्रह निकला क्या कहीं से . खूखी और मैत्रेयी ने पढ़ना जारी रखा है या छोड़ दिया है. ममता को जेल में
बहुत अच्छा नहीं लगता घर की बहुत याद करती है.
बाहर दूसरे बच्चों का और तो कुछ समाचार नहीं
जानती पर उनके पत्र आते रहते हैं . अभी उनकी सालाना परीक्षा हुई है .बड़े अपने क्लास
में पहले , छोटे दूसरे और मुन्ना दसवें आयें हैं. सुधा की भी छमाही परीक्षा हो रही
है. उसका यह फैसला साल है और मै जेल में हूँ . क्या पढ़ सकेगी
बीचारी. पूरी गृहस्थी का भार उसी पर है. अच्छा तो अब विदा दो. मेरी लिखी हुई सब
चीज़ें भेजना थोड़ी सी कचरी भी बांध के रख देना. कागज़ के पीछे ममता के कड़े और चूड़ी
का नाप है. पर सब चीज़ें जल्दी भेजना. साडी के बिना मुझे तकलीफ
हो जाएगी . कमला ! मेंरा एक मुरादाबादी लोटा भी तुम्हारे घर छूट गया है सम्हाल के
रख लेना.
तुम्हारी बहिन
सुभद्रा
PRISONERS
LETTER
Jabalpur Jail
Name : S.K.Chauhan
Dated . 8.4.42
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खादी का कपड़ा चाहिए किसी रंगीन खादी पर छपी हुई सारी मिले तो अधिक अच्छा नहीं तो सफेद पर ही सही पर यह सब १०) के अन्दर ही होना चाहिये फिर इसी के साथ तुम टिकली चूड़ी इत्यादि भी भेज देना मेरे हाथ की चूड़ी 21= का गाला लगता है और ममता की चूड़ी जो तुमने भेजी थी उससे ज़रा छोटी, ज्यादः छोटी नहीं ममता के लिए छोटी पालिश की शीशी और टीके की शीशी भी भेजना। सारी बहुत भड़कीली न हो इन मेरी पसंद जानती हो। हां गौड जी के घर दु:खद समाचार सुन कर दुःख हुआ। उनसे मेंरी हार्दिक संवेदना है। ईश्वर उन्हें इस कष्ट सहने क शक्ति दे और मृतात्मा को शान्ति दे। और क्या लिख सकती हूँ मेरा माँ का हृदय है न सुनना चाहती हूं और न उस पर विचार करने का साहस होता है. आज आठ महीने से नन्हें नन्हें बच्चों को छोड़कर जेल के अन्दर बैठी-बैठी मुझे अब ऐसा लगता है कि मै बड़े कमजोर हृदय की स्त्री हूँ.
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अब तो हृदय पत्थर का बना के बैठी हूँ और जो कुछ सहना पडेगा सहूंगी। ममता के लिए तुम ढेर से लकड़ी के खिलौने हाथी घोड़ाऔर जो जो कुछ मिल सके 2) तक के जितनी जल्दी भेज सको भेजना वह बहुत घबराती है। अब जेल में रहते-रहते घबरा गई है. खिलोनॉ में लकड़ी का इंजिन ज़रूर भेजना. कमला तुम्हें कष्ट देती हूँ उसके लिए क्षमा करना बहिन पर क्या करूं बाहर निकलने पर यदि कभी तुमसे मिली तो बतलाऊंगी किन परिस्थितियों में पड़कर मैं अनायास ही बैठे-बैठे इतना कष्ट दिया करती हूँ. किसी मां को इतनी मासिक हो जितना आजकल मुझे हो रही है। डॉक्टर साहेब को वन्दे और बच्चो को प्यार. तुम कमी-कभी मेरे बच्चों को मी पत्र लिख दिया करना. गौड़जी को वन्दे और उनकी जितनी पुस्तकें प्रकाशित हों उन्हें भिजवा सको तो अच्छा हो.
तुम्हारी बहिन
सुभद्रा
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